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झारखण्ड के 5 प्रसिद्ध मंदिर - Famous Temples in Jharkhand



दोस्तों आज हम जानेंगे झारखंड के 5 प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जहां आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ जा सकते हैं भगवान की पूजा अर्चना कर सकते हैं|
तो चलिए शुरू करते हैं|
सबसे पहले नंबर पर हैं:-

1. बैद्यनाथ मंदिर (देवघर)

बैद्यनाथ मंदिर (देवघर)

झांरखंड में सबसे जाएदा जानने वालो मंदिरो में से सबसे पहले नंबर में 'देवघर' में स्थित ये मंदिर है| जो की झारखण्ड के पूर्व-दक्षिण हिस्से में स्थित है| यदि आप धार्मिक स्थलों की बात करते है उन में से झारखण्ड के सबसे बड़े और पूजे जाने वाला स्थल ये है| और हमारे 108 शक्ति पीठो में से एक यह भी है, जहां माता सती का दिन गिरा था और लोग उसे पुजते है| यह भारत के धार्मिक स्थलों में  भी गिना जाता है
यहाँ भगवान् शिव (भोलेनाथ) की पूजा की जाती है, यहाँ बर्षात (सावन) के दिनों में करोड़ो में श्रद्धालु अलग-अलग राज्यों से आते है और भगवान् शिव (भोलेनाथ) की पूजा करते है| सबसे बड़ी बात ये भी है की लोग लगभग 110-120 किलोमाटर की दुरी से पैदल चल के भगवान शिव (भोलेनाथ) के लिए अपने हाथो से बिना कुछ खाये-पिए गंगा-जल (जो की भगवान् को समर्पित किया जाता है) ले कर के आते है और भगवान् के ऊपर उसे चढ़ाते है|
यहाँ बहुत सरे विशाल-विशाल मंदिर बने हुवे है उन में से एक बाबा भोलेनाथ का है जो की सबसे बड़ा है, उसकी उचाई लगभग 45 फ़ीट है और यह पूरा मंदिर लगभग 9-10 किलोमीटर के एरिया में फैला हुवा है|
यदि आप सावन के दिनों में आते है तो वह सुल्तानगंज से पुरे देवघर तक मेला लगा हुवा रहते है जो की भारत का सबसे बड़ा मेला कहलाता है, ये मेला लगभग 110-120 किलोमीटर का होता है|
यहाँ भगवान् शिव (भोलेनाथ) के साथ साथ माता पार्वती और गणेश की भी मंदिरो को बनाया गया है| और यहाँ रोज लगभग १० लीटर से जाएदा दूध चढ़ये जाते है| और सावन के दिनों में तो ड्रामो में भर-भर के दूध चढ़ये जाते है, क्यूंकि लोगो का मानना है की सावन अर्थात वर्षात के दिनों भगवान् शिव (भोलेनाथ) खुद आते है और पुरे महीने यहाँ रहते है और यदि आप सावन के दिनों में पूजा कर के भगवान से कुछ मांगते हो तो वो अवसिये पूरी होती है| इसलिए पुरे भारत से लोग (श्रद्धालु) सावन में आते है और भगवान शिव (भोलेनाथ) की पूजा करते है| Read more...
 

2. छिन्नमस्ता मंदिर (रजरप्पा)

छिन्नमस्ता मंदिर (रजरप्पा)

दुनिया के सबसे बड़े शक्ति पीठो में से दूसरे नंबर पे विराजित ये मंदिर झारखण्ड राज्ये के राजधानी रांची से कुछ ही दुरी 'रजरप्पा' में स्थित है| पुरे भारत में एक मात्र मंदिर है ऐसे भगवान की पूजा की जाती है जो की बिना सर (माथे) की है| यह हमारे 108 शक्ति पीठो में से एक है जहाँ माता सती की का एक शरीर का अंग गिरा है|
यहाँ बकरियों की बली दी जाती है और खून माता के ऊपर चढ़ाया जाता है, जिससे माता खुश होती है और अपने भगत की मनोकामना को पूरी करती है| और यहाँ ऐसा नहीं है की केवल एक राज्ये से ही लोग आते है बल्कि यहाँ पुरे देश भर से श्रद्धालु आते है|
यह मंदिर दामोदर और भैरवी नदी के संगम पे बना हुआ है, जिसकी वजह से इस मंदिर की सुंदरता और भी जाएदा बढ़ जाती है| और यदि आप पिकनिक के लिए जाना चाहते हो तो आप यहाँ जा सकते है क्यूंकि यहाँ सभी प्रकार के होटल और दुकाने बानी हुवी है जिसकी वजह से यहाँ पुरे साल भर लोग आते है और मज़े करते है|
दुर्गा पूजा के समय यहाँ पुरे देश भर से जैसे- बिहार, यूपी, मध्ये प्रदेश, पश्रिम बंगाल, उड़ीसा छत्तीसगढ़ इत्यादि जगहों से लोग आते है और माता रानी की पूजा अर्चना करते है |
यहाँ मंदिर के बगल से भैरवी नदी गुजरती है जिसमे लोग नहाते है और जीवन का आनंद लेते है साथ ही पूजा अर्चना कर के अपने पिकनिक का मज़ा लेते है| साथ ही लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ यहाँ आते है और पूजा अर्चना के साथ-साथ पिकनिक का भी मज़ा लेते है|
यहाँ भोत सरे बड़े-बड़े मंदिर बने हुवे है, जिनमे से सबसे बड़ा और विशाल मंदिर माता छिन्मस्तिके का है जो की बिना सर के बना हुआ है, यहाँ आप किसी भी दिन जाते है तो आपको पूजा करने के लिए घंटो लाइन में लगना पड़ेगा क्यूंकि यहाँ पुरे साल श्रद्धालु पुरे देश भर से आते है और माता की पूजा अर्चना करते है| Read more....

3. सूर्ये मंदिर (रांची)

सूर्ये मंदिर (रांची)

झारखंड का यह सूर्य मंदिर जो की झारखंड के राजधानी रांची से लगभग 40 किलोमीटर दूर है, यह एक अलग प्रकार का मंदिर है जो कि पूरे तालाब के बीचो बीच बना हुआ है, मंदिर को इस तरह से बनाया गया है कि इसमें सात घोड़े और 18 पहियों दिखाई देते है और यह मंदिर पूरे तालाब से घिरा हुआ है|
यहां छठ का पर्व बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है, आस-पास के लोग वहां श्रद्धा-भक्ति के साथ जमा होकर छठ का पर्व एक साथ मिलकर मनाते हैं, जिसकी वजह से छठ के दिनों में यहां बहुत ही ज्यादा भीड़ होती है|
यह मंदिर रांची से टाटा जाने वाली सड़क में पड़ती है, और इस मंदिर को इस तरह से बनाया गया है कि यह ‘पूरी’ में बने कोणार्क मंदिर की तरह दिखता है और यह मंदिर दिखने में कुछ इस प्रकार से है कि लगता है जैसे कोई वाहन हो और उसे सात घोड़े खींच रहे हो, और इसके अगल-बगल में जो तालाब है सो इसकी सुंदरता को और भी ज्यादा बढ़ा देती ही
वैसे तो पूरे झारखंड में बहुत सारे सूर्य मंदिर है लेकिन यह मंदिर उनमें से सबसे श्रेष्ठ और सुंदर माना जाता है, क्योंकि यहां पूरे राज्य भर से लोग आते हैं और पूजा अर्चना करते हैं और भीड़  रहने की वजह से यहां पूरे साल भर मेला लगा रहता है

4. बासुकीनाथ मंदिर (देवघर)

बासुकीनाथ मंदिर (देवघर)

झारखंड में तो वैसे मंदिरों की कमी नहीं है उनमें से एक यह बासुकीनाथ मंदिर भी है, यहां भगवान शिव (भोलेनाथ) की पूजा की जाती है, यहां लोग अपनी मनोकामना लेकर आते हैं और पूजा अर्चना करके उसे पूर्ण करते हैं|
यह मंदिर देवघर से लगभग 45 किलोमीटर दूर है और अपने क्षेत्र में बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है|
यह मंदिर दुमका जिले के अंतर्गत आता है, और यहां अनेको  राज्यों से श्रद्धालु आते हैं और पूजा करते हैं|
मंदिर के बगल में ही एक तालाब (शिवगंगा) बनी हुई है, जहां श्रद्धालु स्नान करते हैं और मंदिरों में जाकर पूजा करते हैं, और इस तालाब के बीच एक शिवलिंग भी है जो की लोगो को दूर से अच्छे से प्रतीत होती है| और बताया जाता है कि यहां तालाब (शिवगंगा) के बगल में एक कुआं भी है जो कि पत्थर से बना हुआ है
यहां पर देवघर की तरह लोग सुल्तानगंज से जल उठा कर 3-4 दिनों में आते हैं, और भगवान शिव  (भोलेनाथ) के ऊपर उसे चढ़ाते हैं|  जो कि लगभग 120-130 किलोमीटर है|
और बासुकीनाथ मैं भगवान शिव (भोलेनाथ) के साथ-साथ माता पार्वती और गणेश जी की भी मंदिर बानी हुवी है| Read more...

5. नौलखा मंदिर (देवघर)

नौलक्खा मंदिर (देवघर)

झारखण्ड के पूर्व-पश्चिम में मंदिरों की कमी नहीं है उनमें से एक नौलखा मंदिर भी है, जो कि बैद्यनाथ मंदिर (देवघर) से लगभग 1.8 किलोमीटर दूर है| यह मंदिर घूमने के लिए बहुत ही बढ़िया है, इस मंदिर को इस प्रकार से बनाया गया है कि यह रामाकृष्णन मंदिर जोकि वेल्लोर मैं स्थित है, उसी की तरह प्रतीत होती है|
इस मंदिर के अंदर राधा-कृष्णा की मूर्ति बनी हुई है, यह मंदिर जमीन से लगभग 150 फ़ीट ऊंची है| यह मंदिर ‘रानी चारुशिला’ के द्वारा बनवाया गया था| इस मंदिर को बनाने में राजाओं के समय में लगभग ₹900000 लगे थे| इसकी वजह से मंदिर का नाम नौलक्खा मंदिर रख दिया गया| यह मंदिर राजाओं के समय में सन्न 1940 में बनी हुई है|
यह मंदिर हमारे ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है, क्योंकि यह मंदिर दिखने में तो बहुत ही पुराना है मगर आप वहां जाते हैं और इसे देखते हो तो आप अनुमान लगा सकते हो की राजा महाराजो के समय में मंदिर तथा किले किस प्रकार से बनाये जाते होंगे|||||

निष्कर्ष- मित्रो आपको झारखण्ड के 5 प्रसिद्ध मंदिर - Famous Temples in Jharkhand  के बारे में जान कर के कैसा लगा??
हमें कमेंट कर के जरूर बताये|

धन्यवाद…….





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