बैद्यनाथ मंदिर
जैसा को आपको पता होगा भारत को देवताओ का घर कहा जाता है और भारत में मंदिरो की भी कामी नहीं है| उसी प्रकार से झारखण्ड राज्ये में भी भोत सारे प्रसिद्ध प्रसिद्ध मंदिर है| उन में से सबसे पहले नंबर पे आने वाला और सबसे जाएदा प्रसिद्ध मंदिर झारखण्ड राज्ये के देओघर जिले में स्थित ये बैद्यनाथ मंदिर भी है| यह मंदिर जहाँ उपस्थित है उसे "देवघर" अर्थात देवो-के घर के नाम से भी जाना जाता है|

यह एक शक्तिपीठ भी है क्यूकी यहाँ माता "सती" का "ह्रदय" गिरा था, इसलिए इसे 108 शक्तिपीठो में से भी एक माना जाता है और यहाँ श्रद्धालुओ की भीड़ यहाँ पुरे 12हो महीने होते है क्युकी यह झारखण्ड का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहाँ श्रधालुओ की कामी कभी नहीं होती है क्यूंकि ये भारत के ज्योतिर्लिंगों में से भी एक है |
यहाँ आने वाले सभी श्र्धलुओ की मनोकामना पूरी होती है जिसकी वजह से इसका नाम "कामना लिंग" भी रखा गया है| और यहाँ सबसे बड़ा मंदिर भगवान् शिव (भोलनेनाथ) का है और साथ में ही माता पार्वती का मंदिर भी जुड़ा हुवा है, साथ ही उसके अगल-बगल में बहुत सरे छोटे मोटे मंदिर बने हुवे है|
गंगा-जल यात्रा
गंगा-जल यात्रा दो प्रकार के होते है पहला "बोल-बम" और दूसरा "डाक बम" तो चलिए इन दोनों के बारे में विस्तार से जानते है:-
बोल-बम

यहाँ सावन के दिनों में लाखो की संख्या में श्रद्धालु आते है और सुल्तानगंज में सब इकठा हो कर के भगवान् शिव के लिए गंगा-जल अपने अपने पत्रों में भर कर के लगभग
110 किलोमीटर से भी जाएदा की दुरी पैदल तय करते है और ख़ास ध्यान ये भी रखा जाता है की जो उनके कंधे पे कांवर है, वो पुरे यात्रा में से 110 किलोमीटर तक में कही पे भी जमींन पे न रखा जाये चाहे कुछ भी हो जाये मगर कवर को जमींन पे नहीं रखना है| और वे पुरे रस्ते में एक ही शब्द का प्रयोग करते है "बोल-बम" और ख़ास बात तो ये भी है की इतनी दुरी पैदल तय करने के बाद लोग एक-दो दिनों तक फिर लाइन में लगते है और भगवान् शिव (भोलेनाथ) के ऊपर गंगा-जल चढ़ाते है|
डाक-बम

यह भी एक प्रकार का गंगा-जल यात्रा है इसमें और सारे कार्य पहले वाले जैसे ही होते है जैसे सुल्तानगंज से गंगा-जल उठाना और फिर उतनी दुरी तय करना लेकिन इसमें एक सरत होती है आप जब से जल उठाते हो तो उसको 24 घंटे के भीतर भगवान् के ऊपर गंगा-जल
को चढ़ाना होता है| इसलिए इन लोगो के लिए वहां अलग से सुविधा की जाती है और इनके लिए सरकार के द्वारा बहुत सारी सुविद्ये करी जाती है| हलाकि "बोल-बम" के लोगो के लिए भी बहुत सारे सुविधाएं कराई जाती है|
बैजनाथ की कहानी
बहुत पुराणी बात है बताया जाता है की "रावण" बहुत समय से भगवान शिव (भोलेनाथ) की तपस्या हिमालय पर कर रहा था| लेकिन भगवान शिव (भोलेनाथ) उसे दर्सन नहीं दे रहे थे| परन्तु आखिर में रावण ने अपने 10 सिरों में से एक-एक कर के उन्हें काटने लगा 9 सिरों के कटने के बाद भगवान शिव (भोलेनाथ) प्रकट होते है और उसके सिरों को वापस से उसी तरह कर
देते है अर्थात जोड़ देते है, और बोलते है माँगो जो माँगना है| तो रावण उसनसे बोलता है की क्या मैं आपकी ये शिवलिंग
अपने लंका में ले जा कर के स्तापीट कर सकता हूँ ?

तो भगवन शिव बोलते है की ले जाओ मगर यदि तुम इसे ले जाते समय कही भी रखते हो तो वो वही पे स्तापित हो जाएगी| इतना सुनने के बाद रावण उस शिवलिंग को लेकर अपनी लंका की ओर चल देता है, बिच रस्ते में उसे लघुशंका लग जाती है, तो रावण उस शिवलिंग को एक व्यक्ति को पकड़ा देते है जिनका नाम बैजनाथ भील था | तो उन्हें वो शिवलिंग भारी लगती है जिसकी वजह से वो उसे वहीँ रख देते है जिसकी वजह से वो शिवलिंग वही स्थापित हो जाती है| रावण काफी प्रयास करता है लेकिन उसे वहां से हिला भी नहीं पाता है फिर वो उसपे अपनी अंगूठे का निसान लगा कर के वहां से चल देता है अपनी लंका की ओर| उसी दिन से वहां ये शिवलिंग
विराजित है और इसलिए उसका नाम बैद्यनाथ धाम रख दिया जाता है|
बाबा बासुकीनाथ धाम
यह मंदिर बैद्यनाथ धाम की वजह से जाना जाता है, क्युकी ऐसा माना जाता है की बिना बासुकीनाथ के बैधनाथ धाम की यात्रा अधूरी है| इसलिए यहाँ अनेको छोटे छोटे मंदिर भी बनाये गए है| और यह बैधनाथ मंदिर से लगभग 42 किलोमीटर की दुरी पे स्थित है| यहाँ भी भगवन शिव (भोलेनाथ) की पूजा होती है और जो कोई भी बैधनाथ मंदिर में पूजा करने के लिए आता है वो यहाँ भी "बासुकीनाथ मंदिर" भी पूजा करने जरूर आता है| और कहा जाता है की यहाँ पुरे सावन भर पुरे बड़े मेले का आयोजन किया जाता है क्युकी सावन में श्रद्धालुओ की भीड़ बहुत जाएदा होती है और लोग जाएदा की संख्या में वहां जमा होते है जिसकी वजह से मेले का लुफ्त भी लोग खूब उठाते है|

पार्वती मंदिर
कहा जाता है की भगवान् शिव (भोलेनाथ) का मंदिर बनता है, तो साथ में माता पार्वती की भी मूर्ति को स्तापित किया जाता है क्युकी माता पार्वती के बिना भगवान् शिव की पूजा अकेले नहीं की जाती है| माता पार्वती को और भी नाम से जाना जाता है जैसे:- माता अदि पराशक्ति (भगवान् शिव की शक्ति) और गौरी|

श्रावण मेला
यह मेला "बिहार" राज्ये के "भागल-पुर" जिले से सुरु होती है और यह "झारखण्ड" राज्ये के "देवघर" जिले तक लगी हुवी रहती है| यह भारत का सबसे बड़ा और विशाल मेला होता है| यहाँ सावन में पुरे सुल्तानगंज से पुरे देवघर तक मेला लगा हुवा रहता है| भारत के सबसे प्रसिद्ध मेलो में से भी एक है| लोग पैदल गंगाजल ले कर के जाते है उस समय वो पुरे मेले से हो कर के गुजरते है, उनके लिए अलग से रास्ता बना हुवा रहता है| और इस मेले में इंसान की जरूरत की हर एक चीज होती है|

यहाँ खाने पिने के सामानो से लेकर के पहनने और साड़ी जरुरत की चीजे होती है| यह मेला पुरे भारत में प्रसिद्ध है इसलिए यहाँ केवल राज्ये ही नहीं बल्कि पुरे देश भर से लोग आते है और आयोजित मेले का लुफ्त अर्थात मज़ा उठाते है| यहाँ मेले में अनेको प्रकार के उत्सव, कला, ड्रामा इत्यादि चीजे आयोजित की हुवी रहती है जैसे:- राम-लीला, महाभारत, रामायण, डांस का प्रोग्राम इत्यादि ऐसे बहुत प्रोग्राम आयोजित होते है|
निष्कर्ष- दोस्तों आपको झारखण्ड के Baidyanath Temple- बैद्यनाथ मंदिर के बारे में जान कर के कैसा लगा??
हमें कमेंट कर के जरूर बताये|
धन्यवाद…….
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